दसवीं के छात्र की स्कूटी में फंसी इंटरनेट केबल, गिरने से मौत, कोचिंग से लौटने के दौरान हुआ हादसा

दसवीं के छात्र की स्कूटी में फंसी इंटरनेट केबल, गिरने से मौत, कोचिंग से लौटने के दौरान हुआ हादसा

Class 10 student Death in Kanpur

Class 10 student Death in Kanpur

Class 10 student Death in Kanpur: कानपुर में रतनलाल नगर के एक कारोबारी परिवार के लिए ऐसी त्रासदी लेकर आया, जिसकी भरपाई शायद कभी नहीं हो पाएगी. पेड़ से लटक रही एक ढीली केबल ने 15 साल के सार्थक चौधरी की जान ले ली. वह भी इतनी भयावह तरीके से कि सुनने वालों के दिल दहल उठे. सार्थक, जो रोज की तरह कोचिंग से घर लौट रहा था, शायद ही कभी सोच पाया होगा कि घर से कुछ ही कदम दूर मौत उसका इंतजार कर रही होगी. स्कूटी की रफ्तार बहुत तेज नहीं थी, पर लापरवाही इतनी बड़ी थी कि कुछ ही सेकंड में जिंदगी का सब कुछ बिखर गया.

एक केबल, एक झटका और खत्म सब कुछ

रतनलाल नगर की सबसे व्यस्त सड़कों में से एक पर पेड़ से झूलती केबल कई दिनों से यूं ही लटक रही थी. स्थानीय लोग बताते हैं कि कोई इसे हटवाने की जहमत नहीं उठा रहा था. गुरुवार की शाम करीब सवा छह बजे सार्थक अपनी स्कूटी पर सबसे आगे चल रहा था. उसके पीछे उसके दोस्त बाइक और स्कूटी पर थे. अचानक उसकी स्कूटी का हैंडल हवा में झूल रही केबल में जा फंसा. स्कूटी आगे खिंची और सार्थक उससे उछलकर करीब 10 फीट ऊपर उछला, फिर सड़क पर ऐसी जोरदार तरीके से गिरा कि उसके सिर के कई हिस्से अलग-अलग जगह बिखर गए. दृश्य इतना भयावह था कि आसपास मौजूद लोग कुछ सेकेंड तक स्तब्ध रह गए. चश्मदीद गुलशन, जिनकी दुकान ठीक वहीं है, बताते हैं केबल कई दिनों से लटकी हुई थी. कितने लोगों ने इसकी शिकायत की, पर किसी ने सुना ही नहीं. लड़के की स्कूटी फंसी और वह सीधा हवा में गया… नीचे आया तो देखने की हिम्मत नहीं हुई.

दोस्तों ने दी कोचिंग संचालक को सूचना

सार्थक के पीछे आ रहे उसके दोस्तों ने बाइक रोकी. किसी ने कोचिंग संचालक को फोन किया, किसी ने राहगीरों से मदद मांगी. कुछ ही मिनट में लड़के को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने बिना एक पल गंवाए उसे जांचा, पर सब व्यर्थ था. यह सब सड़क पर गिरते ही खत्म हो गया था. खबर कोचिंग से परिवार तक पहुंची. उस पल का दर्द बयां करना नामुमकिन है. पिता जतिन चौधरी, जो कानपुर में कचरी और चिप्स की फैक्ट्री चलाते हैं, बेटे की लाश देखकर टूट पड़े. वह बार-बार बस इतना कह रहे थे मेरा बेटा तो चला गया… लेकिन इसकी मौत के जिम्मेदार कौन हैं? ये लटकी केबलें लोगों की जान ले रही हैं, सरकार कार्रवाई करे.

पढ़ाई में अव्वल, परिवार का सबसे प्यारा बच्चा

सार्थक द चिटल्स पब्लिक स्कूल में दसवीं का छात्र था. पढ़ाई में तेज, शांत स्वभाव का और परिवार का सबसे दुलारा. दादा-दादी का लाड़ला, और पिता की उम्मीद. रोज की तरह 4 से 6 की कोचिंग पढ़ने के बाद वह लौट रहा था. घर पहुंचने में सिर्फ कुछ ही मिनट बचे थे. लेकिन किसे पता था कि एक लापरवाही उसकी पूरी दुनिया छीन लेगी. परिजनों के अनुसार, वह तीन भाइयों में सबसे बड़ा था और बेहद जिम्मेदारी से पढ़ाई करता था. परिवार उसे भविष्य में फैक्ट्री का काम संभालते हुए देखता था. पर अब घर में सिर्फ खामोशी है. 

आखिर जिम्मेदारी किसकी 

यह साफ नहीं हो पाया है कि वह केबल इंटरनेट की थी, टीवी केबल की या किसी डिजिटल नेटवर्क की. पुलिस ने केबल को कब्जे में ले लिया है और कहा है कि जांच के बाद ही स्पष्ट कहा जा सकेगा कि इसे किसने लगाया था और यह सड़क तक क्यों लटक रही थी. रतनलाल नगर जैसे पॉश इलाके में सड़कों के ऊपर से गुजरने वाली इस तरह की तारों की भरमार है. कई स्थानीय लोगों ने बताया कि सड़क पर कई महीनों से इस तरह की केबलें खुले में लटकी रहती हैं, पर कोई विभाग इस ओर ध्यान नहीं देता.

गोविंद नगर थाने की पुलिस मौके पर पहुंची. इंस्पेक्टर राकेश कुमार सिंह ने बताया कि परिजनों ने अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई है. पोस्टमार्टम के लिए बॉडी भेजी गई है. केबल किसकी थी, यह जांच में पता चलेगा. मामले में लापरवाही पाई गई तो कार्रवाई की जाएगी. 

परिवार की चीख-पुकार

सार्थक की मां बेसुध सी रोती रहीं. पिता जतिन चौधरी बार-बार अधिकारियों से एक ही अपील दोहरा रहे थे कि लोगों की गलियों में ये केबलें क्यों लटकी रहती हैं? क्या कोई पहले नहीं देख सकता था? मेरा बेटा सिर्फ 15 साल का था… किसी की लापरवाही ने मेरी दुनिया उजाड़ दी.  परिजनों का आरोप है कि शहर में केबल और इंटरनेट कंपनियां बिना किसी इजाजत के जगह-जगह तार डाल देती हैं, जिन्हें हटाने या व्यवस्थित करने का कोई सिस्टम नहीं है.